जब तुम जाग जाओ, तभी सतयुग, नहीं तो कलियुग

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सतयुग और कलियुग हमारे धार्मिक शास्त्रों में दो अलग युगों को दर्शाते हैं। सतयुग को स्वर्ग का युग कहा जाता है, जहां लोग निर्मल मन और आत्मा के साथ जीने की कला को सीखते हैं। इस युग में धर्म, सत्य, और न्याय की प्राथमिकता होती है।

वहीं कलियुग एक युग है जहां अधर्म, असत्य, और अन्याय का राज होता है। लोग अपने आप को भूल जाते हैं और अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को क्षति पहुंचाते हैं। इस युग में मनुष्य के आदर्श और मूल्यों का अपमान होता है।

यह सत्य है कि हम वर्तमान में कलियुग के युग में जी रहे हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि हमारे हाथों में युगों को बदलने की शक्ति है। अगर हम चाहें तो हम अपने आस-पास के वातावरण को साफ, स्वच्छ, और धार्मिक बना सकते हैं।

हमें अपने आप को जागृत करने की आवश्यकता है। हमें अपने जीवन में धार्मिकता, सत्यनिष्ठा, और न्याय को अपनाना चाहिए। यह हमारे और हमारे परिवार के लिए शांति, सुख, और समृद्धि का स्रोत बन सकता है।

इसलिए, हमें उठना होगा और सत्युग की ओर बढ़ना होगा। जब हम जाग जाएंगे, तभी हम कलियुग को परास्त कर सकेंगे।

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