क्या हमें सच में भगवान की ज़रूरत है?
इंसान की ज़िंदगी और प्रयास
कई बार हमें ऐसा लगता है कि सारा श्रेय किसी अनदेखे भगवान को दे दिया जाता है, जबकि असल में इंसान की मेहनत, सोच और प्रयास ही उसकी सफलता का आधार होते हैं। ऐसा मानना कि भगवान ही सब कुछ हैं, इंसान की खुद की काबिलियत को नजरअंदाज करना है।
भगवान एक नशा
भगवान एक ऐसा नशा है जो बचपन से ही हमारे दिमाग में भर दिया जाता है। इसे मानने की वजह से हम खुद पर विश्वास खो देते हैं। असल में, इंसान की अपनी मेहनत और संघर्ष ही उसे मंजिल तक पहुंचाते हैं। इस का अस्तित्व बस उस सोच का परिणाम है जो हमें बचपन से सिखाई गई है।
सोच में बदलाव जरूरी
हमें जरूरत है कि हम अपने जीवन की जिम्मेदारियों को खुद समझें और अपनी मेहनत और सोच पर भरोसा करें। जिन चीज़ों को हम नियंत्रित करते हैं, उनका श्रेय हमें खुद ही लेना चाहिए।उस पर आधारित सोच हमें कभी भी खुद के परिश्रम की कदर नहीं करने देती।
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