मर्द को दर्द नहीं होता: एक परिचय
‘मर्द को दर्द नहीं होता’ यह एक ऐसा वाक्य है जो हमारे समाज में बहुत प्रचलित है। लेकिन क्या यह सच में सच है? क्या मर्द वास्तव में किसी प्रकार का दर्द महसूस नहीं कर सकते? आइए इस धारणा पर एक नज़र डालते हैं।
दर्द की वास्तविकता
सच तो यह है कि मर्द भी इंसान ही होते हैं और वे भी दर्द महसूस करते हैं। चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, दर्द का अनुभव मर्दों के लिए भी उतना ही वास्तविक होता है जितना कि औरों के लिए। मर्दों के अंदर भी वही नर्व सिस्टम होता है जो दर्द के संकेत भेजता है।
सामाजिक अपेक्षाएँ
अक्सर मर्दों को कठिनाईयों का सामना करते समय भी अपने दर्द को व्यक्त न करने की सलाह दी जाती है। यह सामाजिक अपेक्षाएँ उन्हें कमजोर दिखने के डर से अपने दर्द को छिपाने पर मजबूर कर सकती हैं। यह धारणा कि ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ इसलिए एक झूठ है क्योंकि यह उनकी भावनाओं और संवेदनाओं को नकारती है।
निष्कर्ष
समाज के इस गलत विचारधारा को बदलना और जागरूकता फैलाना जरूरी है कि मर्दों को भी दर्द होता है। उन्हें भी अपने दर्द को व्यक्त करने और अन्य व्यक्ति की मदद लेने का पूरा हक है। इसे स्वीकार करना और प्रचारित करना महत्वपूर्ण है ताकि वे अपनी भावनाओं और शारीरिक कष्टों को खुलकर बता सकें।
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